बच्चों की देखभाल में जरा सी भी असावधानी, आगे चलकर घातक साबित हो सकती है। ऐसे में बेहद जरूरी है कि बच्चों में विटामिन्स और पोषक तत्वों की कमी पर नज़र रखी जाए। अगर आपका बच्चा थकान महसूस करता हो, चिड़चिड़ा रहता हो, तो आपको सावधान रहने की जरूरत है, क्योंकि हो सकता है कि बच्चे में विटामिन डी की कमी हो।
तीस फीसदी बच्चे दिखने में सामान्य मगर विटामिन डी की बेहद कमी वाले मिले हैं। जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज में हुए एक रिसर्च में यह खुलासा हुआ है। पांच साल से कम उम्र के बच्चों पर हुए रिसर्च में दो तरह के बच्चों को शामिल किया गया है। एक तो ऐसे बच्चे जो दिखने में सामान्य थे।
दूसरे ऐसे बच्चे जो दिखने में कुपोषित और अति कुपोषित श्रेणी के थे। यह बच्चे किसी गम्भीर बीमारी की वजह से हैलट में भर्ती कराए गए थे। उन पर डॉक्टरो ने रिसर्च किया है। शोधकर्ता डॉक्टरों के गाइड प्रो. एके आर्या का कहना है कि बच्चों में विटामिन डी की मात्रा बेहद कमी मिल रही है।
मानक का 50 फीसदी भी विटामिन डी नहीं मिल रहा है। बच्चा दिखने में स्वस्थ है मगर उसकी हडिडयां भुरभुरी हो रही हैं। विटामिन डी की कमी से बच्चों को कई तरह की बीमारियां घेरती हैं। भर्ती होने वाले या ओपीडी में आने वाले बच्चों की जांच की जाती है तो यह कमी दिख जाती है। यही बच्चे अति गम्भीर होकर भर्ती होते हैं। विटामिन डी की कमी पूरा होते ही बच्चे ठीक हो जाते हैं।रिसर्च में सभी पैरामीटर का इस्तेमाल किया गया है। इसे एकेडमी आफ पीडियाट्रिक्स के वाषिक सम्मेलन में रखा जाएगा।
सैम बच्चों में लक्षण नहीं मिले
सीवियर एक्यूट मेल न्यूट्रीशन यानी सैम बच्चों में विटामिन डी की कमी के लक्षण नहीं पाए गए, मगर उनके विटामिन डी की घोर कमी मिली है। इन बच्चों को सैम से बाहर निकालने और जीवन के खतरे से बचाने में तीन से छह महीने तक मशक्कत करनी पड़ी।
बच्चों में इन बीमारियों का खतरा
रोग प्रतिरोधक क्षमता शून्य तक पहुंच सकती है। विकास रुक सकता है। निमोनिया, डायरिया, कार्डियोमायोपैथी, बार बार फ्रैक्चर, अनिद्रा, स्किन बीमारी, साइनस इंसफेक्शन, मेनेनजाइटिस और ब्लड डिसआर्डर सम्बंधी बीमारी।
डाइट बेहतर करें, धूप में रहने दें
रिसर्च में यह बात सामने आई है कि बच्चों को पर्याप्त मात्रा में विटामिन डी नहीं मिली। विटामिन डी की कमी पूरा करने के लिए इमरजेंसी में सप्लीमेंट दे सकते हैं मगर उससे अच्छा है कि बच्चों की डाइट बेहतर करें। सबसे अधिक जरूरी धूप है। कम से कम 45 मिनट उसे रोजाना सुबह की धूप दें। धूप में ही सुबह होम वर्क कराएं और उसे खेलने दें।